देहरादून-मसूरी रोड पर घंटाघर से करीब 12 किमी दूर कुठाल गेट के पास हरी-भरी पहाड़ियों के बीच सड़क के किनारे स्थित है प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर। प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर देहरादून से मसूरी के रास्ते में पड़ता है। यह मंदिर पहाड़ पर होने के कारण आप यहाँ से देहरादून का खूबसूरत नजारा देख सकते है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर देहरादून के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। यह देश के उन चुनिंदा मंदिरों में से एक है, जो किसी भी प्रकार के दान को स्वीकार नहीं करते। यहां तक कि गुमनाम दान भी यहां स्वीकार्य नहीं है। श्रद्धालुओं को मंदिर के मुख्य शिवलिंग के चित्र को लेने की भी सख्त मनाही है। हालांकि, कोई भी मंदिर में दर्शन कर सकता है और प्रसाद के रूप में मंदिर की रसोई में परोसी जाने वाली चाय ले सकता है। मंदिर के मुख्य द्वार पर एक शिलापट लगा है, जिस पर एक फरमान अंकित है। इसमें किसी भी तरह के चढ़ावे की मनाही का निर्देश दिया गया है।
इस मंदिर का मुख्य आकर्षण हैं यहां स्थापित शिवलिंग, जो दुर्लभ पत्थरों और स्फटिक के बने हुए हैं। स्फटिक एक प्रकार का बर्फ का पत्थर है, जो लाखों वर्ष बर्फ में दबे होने से बनता है। यह दिखने पारदर्शी और कठोर होता है।
मंदिर में मिठाई या प्रसाद की कोई भी दुकान नहीं है। इसलिए श्रद्धालु सिर्फ शिवलिंग पर जल ही चढ़ा सकते हैं। हां, मंदिर में आपको मुफ्त में स्वादिष्ट चाय और हर दिन लगने वाले लंगर (भंडारा) में हलुवा, खीर, चना और पूड़ी का प्रसाद जरूर मिल जाएगा। इसके अलावा मंदिर में श्रद्धालु मुफ्त गंगाजल भी प्राप्त कर सकते हैं। विशेष यह कि जिस कप में आप चाय पीते हो, उसे आपको धोना भी पड़ेगा।
प्रकाशेश्वर शिव मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए जाना जाता है। मंदिर के ऊपर लगभग 150 त्रिशूल बने हुए हैं। जो मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगा देते है। जबकि, दीवारों को लाल और नारंगी रंग से चित्रित किया गया है। मंदिर में लगे शिलापट पर अंकित जानकारी के मुताबिक यह एक निजी प्रॉपर्टी है। यह शिव मंदिर, देहरादून के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। मंदिर के पीछे आप मालसी हिरण पार्क ( now as Dehradun Zoo) और मालसी आरक्षित वन क्षेत्र के हरे-भरे जंगल देख सकते हैं।
